Rahul Gandhi met the victims of Hathras:-राहुल गाँधी ने हाथरस के पीड़ितों से मुलाक़ात कर उनके हौसला हिम्मत को बढ़ाया ।  इसके बाद नई दिल्ली स्टेशन पर  दिन में 1 बजे  लोको पायलेट्स से भी मुलाक़ात की और उनके हौसला हिम्मत को बढ़ाया ।

सुप्रिया श्रीनेत की ज़ुबानी :

📍हाथरस: 05 /07 /2024 सुबह 5 बजे 

आज तड़के अभी अंधेरा ही था, पौं फटने से पहले जब पूरी दिल्ली सो रही थी. सुबह के 5 बजे थे  तो राहुल गांधी गाड़ी से हाथरस के लिए निकल पड़े ,वह सीधा पहले पिलखना, अलीगढ़ पहुँचे जहां हाथरस भगदड़ पीड़ित परिवारों से मिले  और उसके बाद हाथरस के नवीपुर खुर्द पहुँच कर पीड़ितों से मिले दोनों जगह बेतहाशा भीड़ उमड़ पड़ी थी. हर घर में मातम, मानो दुःख का पहाड़ टूट पड़ा हो, और ऐसा कैसे हो सकता है कि जहाँ इतने पीड़ित परिवार हों, वहाँ राहुल गांधी न पहुँचें ,राहुल जी बहुत देर उन परिवारों से बात करते रहे, उनको हिम्मत बँधाई, जिन्होंने अपनों को खोया था उनसे उनके बारे में बात की, मोबाइल पर उनकी तस्वीरें देखीं ,उन्होंने एक छोटी बच्ची का माथा चूमा, एक अम्मा ने सिर पर हाथ रख आशीर्वाद दिया, एक भाई को गले लगाया, एक पिता का हाथ मज़बूती से पकड़ कर बिना बोले बहुत कुछ कह दिया। 

आख़िर हम अपने सबसे कमज़ोर क्षणों में चाहते ही क्या हैं?

यही तो कि कोई अपना साथ आकर खड़ा हो जाए, सर पर हाथ रख दे, गले लगा कर कह दे कि मैं आपके साथ हूँ वापस दिल्ली पहुँचते पहुँचते दिन के एक बजने वाले थे, सुबह से बिना चाय नाश्ता या कुछ भी खाए वो वापसी में रास्ते भर ख़ामोश बैठे रहे  शायद जिन लोगों से मिलकर आये उनके बारे में सोच रहे थे, उनके आंसुओं के बारे में, उनके दर्द के बारे में, जो बिछड़ गए उनके बारे में अपनों से बिछड़ने का दर्द राहुल जी से बेहतर कौन जान सकता है?

नई दिल्ली स्टेशन: दिन में 1 बजे

लेकिन दिल्ली पहुँच कर वह घर नहीं गए, गाड़ी सीधा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर मुड़वा दी. वहाँ उनको लोको पायलट्स से मिलना था 

रेल दुर्घटना की बढ़ती हुई खबरों के बीच एक बात हमेशा दब कर रह जाती है कि देश में लोको पायलट्स की भारी कमी है — 21% स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं, अमानवीय स्थिति में कभी कभी बिना पर्याप्त आराम और नींद के यह लोग निर्धारित समय से कई-कई घंटे ज़्यादा काम करने को मजबूर हैं 

इनकी समस्याएँ सुनकर एक साझा समाधान निकालने के लिए राहुल जी ने इन्हें आश्वस्त किया 

राष्ट्रपति भवन: शाम 5 बजे

क़रीब 3 बजे घर पहुँचने के बाद शाम के 5 बजे बतौर नेता प्रतिपक्ष वह राष्ट्रपति भवन में आयोजित Gallantry Award समारोह-2024 (प्रथम चरण) में सम्मिलित हुए 

देश के सैन्य और सुरक्षाबलों के जाँबाज़ों के शौर्य पर हमें गर्व है और उनकी कर्तव्यनिष्ठा के प्रति कृतज्ञता

अन्य जानकारी :-

आज देश को इसी मोहब्बत की ज़रूरत है, ऐसे नेता की ज़रूरत है जो सुख-दुःख का भागीदार बन जाये, जिसके आने पर लगे कोई अपना आ गया है, और जिसके होने पर यक़ीं हों कि अब सब संभल जाएगा, जिसके अंदर सत्ताधीशों से लड़ने की जितनी ताक़त हो, उससे ज़्यादा बेलौस होकर वो लोगों को गले लगा ले 

सच ही तो है — नेता ऐसा हो जो अल-सवेरे उठ कर सकरी गलियों में घूम कर ग़रीबों, पीड़ितों, मज़लूमों के आंसू पोंछे, लोको पायलट से मिलकर उनकी दिक़्क़तें समझे, समाधान की चर्चा करे – और फिर जब सदन में खड़ा हो तो दहाड़ कर सबके हक़ की लड़ाई लड़े

यही हैं राहुल गांधी! और राहुल गांधी होना आसान नहीं!!

एक छोटी सी बच्ची रो रो कर एक ही बात कह रही थी “माँ की याद आ रही है, माँ क्यों चली गई, माँ नहीं आएगी अब”

राहुल जी बहुत देर उससे उसकी माँ के बारे में पूछते रहे, अपने पास बिठाया और सिर पर हाथ फेर उसके आंसू पोंछे

एक पिता फूट फूट कर रो रहा था, उसकी 18 साल की बेटी की भी हाथरस हादसे में मौत हो गई थी 

बार बार कह रहा था, “मेरी गलती है, मैंने उसे उस दिन पैसे ना दिये होते तो वो जाती ही नहीं”

राहुल जी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा “आप अपने आपको दोष मत दीजिए, आपकी गलती नहीं है”

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